Monday 12 May 2008

Со временем / वक्त के साथ




Со временем
все меняется —
места, лица, мысли.
И связывающие нас узы.
Слова становятся бессмысленными.
Целым войском окружают
пугающие обеты.
Время — словно ремесленник
на стенах
гравирует
историю.
Мы всего лишь смотрим,
словно зрители.
Пересказываем ее лишь
каждый на свою молву.
Пересказываемые слова,
пересказываемые обеты.
Все те же места, лица, мысли.
И связывающие нас узы.

--перевод: Гурам Браун
वक्त के साथ
सब कुछ बदल जाता है
जगह, चेहरे, सोच
और रिश्ते।
बेमानी हो जाते हैं शब्द¸
चक्रव्यूह से घिर जाती हैं
भीष्म प्रतिज्ञाएँ।
वक्त शिल्पी की तरह
दीवारों पर
खुद उकेरता है
इतिहास।
हम सिर्फ़ देखते हैं
दर्शक की तरह।
और रूपांतर करते हैं
अपनी-अपनी भाषाओं में।
रूपांतर – शब्दों के
रूपांतर – प्रतिज्ञाओं के
जगह, चेहरे, सोच
और रिश्तों के।

--पूर्णिमा वर्मन

4 comments:

अविनाश वाचस्पति said...

वक्‍त के साथ
जो नहीं बदलता
वो है वक्‍त
वक्‍त वक्‍त ही रहता है
और कुछ नहीं कहता है
वक्‍त अगर कुछ कहेगा
तो रक्‍त अवश्‍य बहेगा
इसलिए वक्‍त चुप रहता है
शांत पानी की तरह बहता है
बेमन की तरह मन सहता है
हम तो कह सकते हैं सब कुछ
पर वक्‍त कुछ नहीं कहता है
हमें होता है मुगालता कि यह
वक्‍त ने कहा है, कहा होगा
या कहेगा - पर ऐसा कभी
होता नहीं है - हम ही कहते
रहते हैं, नाम वक्‍त का लेते.

एक अच्‍छा प्रयास - दूर तक पहुंचने का.

Unknown said...

aap to kamaal hai

Surakh said...

कोई रूकता नहीं ठहरे हुए राही के लिए,
जो भी देखेगा टकरा के निकल जायेगा।
हम अगर वक्त के हमराह न चलने पाये,
वक्त हमको भी ठुकरा के निकल जायेगा।।

आशीष कुमार 'अंशु' said...

पूर्णिमा वर्मन जी,
एक अच्छी कविता के अनुवाद के लिय साधुवाद